शहर गए लोग कभी लौटते हैं क्या?

अब पहुँची हो सड़क तुम गाँवजब पूरा गाँव शहर जा चुका है। सड़क मुस्कुराई —“सचमुच कितने भोले हो भाई!”“पत्थर, लकड़ी और खड़िया तो बची है न?” सड़क ने सर झुकाया,बूढ़े पीपल से हाल पूछा।वो बोला — “वो बच्चे कहाँ गएजो दोपहर की छाँव में खेलते थे?” खेतों ने आह भरी,और पगडंडियों ने रोशनी बुझा दी।पर … Read more

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